Category Hindi Shayari

तेरा जिक्र

उसने कहा, मेरे घर में जब जब तेरा जिक्र होता है, मुझे फ़िक्र होता है…  मैंने कहा, मेरे घर में जब न तेरा जिक्र होता है, मुझे तब फ़िक्र होता है… उपिंदर वडैच :

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पतझड़

मैं पेड़ की हर शाख के हर पत्ते पर उसका नाम लिख बैठा, भूल गया था कि पतझड़ भी आएगी…  उपिंदर वडैच

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यार मेरा अम्ब्रेला

था बारिश का शुकराना, उसका छाता लेकर आना,  छाते की छत बनाकर, नज़रों से मुझे बुलाना…  फिर भरे बाजार की सुन्नी राहें, मीलों चलते जाना, छाते को पकडे हाथों की, उंगलिओं का टकराना…  मेरी शर्ट और उसकी कुर्ती के, सांसों…

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तन्हाई

मैं तन्हाई को तन्हाई में तन्हा कैसे छोड़ दू, तन्हाई ने तन्हाई में तन्हा मेरा साथ दिया है…    उपिंदर वडैच

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पर्दा

उसकी अम्मी को कहते सुना, हमारी बेटी परदे में रहती है, हम खिड़की देखते रहे, वो सामने बैठी रही… उपिंदर वडैच

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शराब

आज उसी ने हाथ से लिख कर ख़त, किसी के हाथ भेजा है,  शराब छोड़ दो, जिसने हाथ छुड़ाकर हाथ में गिलास दिया है…  उपिंदर वडैच

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